Patra Kya Hota Hai | Patra Kitne Prakar ke Hote Hain

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Patra Kya Hota Hai | Patra Kitne Prakar ke Hote Hain

पत्र क्या है? Patra Kya Hota Hai ?

लिखित रूप में अपने मन के भावो और विचारो को प्रकट करने के माध्यम को पत्र कहते है| पत्र का अर्थ होता है ” ऐसा पेपर जिसपे कोई बात लिखी अथवा प्रिंट हुआ हो| पत्र के माध्यम से कोई व्यक्ति अपने बातो को एक दुसरे से आदान प्रदान करता है|

हम दूसरी भाषा में पत्र को अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम भी कह सकते है| व्यक्ति जिन बातों जुंबा से या मौखिक रूप से कहने में संकोच करता है, हिचकिचाता है, उन सभी बातो को आप पत्र के माध्यम से एक दूसरे को खुलकर अभिव्यत कर सकते है|

Importance of letter in Hindi | पत्रों की उपयोगिता/ महत्व |

पत्रों की उपयोगिता/महत्व इस प्रकार है-

  • पत्र साहित्य की वह विद्या है जिसके द्वारा मनुष्य समाज में रहते हुए अपने भावों और विचारो को एक दुसरे से सम्प्रेषित करता है, इसके लिए वह पत्रों का उपयोग करता है| अतः सामजिक, कार्यालय, व्यवसायिक कार्यो में अपना भाव प्रकट करने के लिए पत्र बहुत उपयोगी होते है|
  • कार्यालय और व्यवसाय में सम्बन्ध में मुद्रित रूप से प्राप्त पत्रों का विशेष महत्व होता है| मुद्रित रूप से प्राप्त पत्रों को सुरक्षित रखा जा सकता है|
  • पत्र मित्रो और परिजनों में सम्बन्ध और संपर्क स्थापित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है| पत्र के माध्यम से मनुष्य क्रोध, प्रेम, सहानभूति, आदि प्रकट कर सकता है|
  • छात्र जीवन में पत्रों का बहुत ही योगदान है| छात्र पत्र के माध्यम से अधिकांश कार्य कर सकते है जैसे- अवकाश लेना, स्कूल छोड़ने, फ़ीस माफी, छात्रवृत्ति, आदि के लिए पत्रों का इस्तेमाल कर सकते है|

पत्र की विशेषताएँ | characteristics of the letter in Hindi |

पत्र की विशेषताएँ characteristics of the letter in Hindi

पत्र की निम्नलिखित विशेषताएँ होती है-

1. भाषा की संक्षिप्तता : पत्र में हमेशा आने विचारो को संक्षिप्त रूप से व्यक्त किया जाना चाहिए| पत्र को अनावश्यक रूप से विस्तार नहीं करना चाहिए|

2. क्रमबद्धता : पत्र लिखने के समय हमेशा क्रमबद्धता का उपयोग करना चाहिए, जो बाते प्रारंभ में लिखी जाती है वह वह प्रारंभ में तथा जो बाद में लिखी जाने वाली बाते अंत में लिखिनी चाहिए|

3. भाषा की सरलता : पत्र की भाषा हमेशा सरल होनी चाहिए जिससे पढने वाला पत्र लेखक के भावों को आसानी से समझ पायें|

4. प्रभावपूर्ण शैली : पत्र की भाषा शैली प्रभावपूर्ण होनी चाहिए, जिससे पाठक पत्र लेखक के भावों को सरलता से समझ सके| पत्र की भाषा मौलिक होनी चाहिए|

5. शिष्टता और विनम्रता : पत्र की भाषा शिष्ट होनी चाहिए| विशेषकर औपचारिक पत्रों को लिखते समय सक्र्तामक विचारो का विनम्र भाव होनी चाहिए|

6. विराम चिन्हों का विशेष ध्यान : पत्र में विराम चिन्हों को सही जगह पर प्रयोग करना चाहिए| उचित जगह पर विराम चिन्ह का प्रयोग आकर्षक बनाता है|

7. उदेश्यपूर्ण : पत्र इस प्रकार लिखा जाना चाहिए की पाठक को पत्र का उदेश्य समझ में आ सकें| पत्र पूरा होने पर एक बार अंत में दुबारा से पढ़ लेनी चाहिए|

Patra Kitne Prakar ke Hote Hain ? पत्रों के प्रकार

पत्र लेखक का प्रतिबिम्ब होता है जो लेखक के विवेक और सोच को दर्शाता है और व्यक्ति का सुख दुःख का संजीव वाधक होता है| विद्यालय से लेकर निजी जीवन. व्यवसाय में हर जगह पत्र की अहम् भूमिका होती है| पत्रों की भूमिका को ध्यान में रखते हुए, पत्रों के निम्न दो प्रकार होता है-

Patra Kitne Prakar ke Hote Hain पत्रों के प्रकार

1. अनौपचारिक पत्र

 2. औपचारिक पत्र

1. अनौपचारिक पत्र क्या होता है?

अनौपचारिक पत्र से तात्पर्य ऐसे पत्रों से है जिनका लेखन व्यक्तिगत मामलो के संधर्भ में किया जाता है जैसे – परिवारिक सदस्यों, मित्रो और अन्य परिजनों के लिए अनौपचारिक पत्र का उपयोग किया जाता है| दुसरे शब्दों में हम कह सकते है की अनौपचारिक पत्र का व्यक्तिगत सम्बन्ध के लिए किया जाता है|

 2. औपचारिक पत्र क्या होता है?

प्रधानाचार्य , पदाधिकारी, ग्राहकों, पुष्तक विक्रेता, संपादक आदि को लिखा गया पत्र को औपचारिक पत्र कहते है| औपचारिक पत्र निम्नलिखित प्रकार से विभाजित किया गया है-

औपचारिक पत्र कितने प्रकार के होते है?

औपचारिक पत्र को निम् चार प्रकार के होते है-

1. आवेदन पत्र : विद्यालय के प्रधानाचार्य, अधिकारी या किसी कंपनी के प्रधान को आवेदन पत्र लिखा जाता है| आवेदन पत्र हमेशा में शालीन और शिष्ट भाषा का उपयोग होता है|

2. कार्यालय पत्र : कार्यालय पत्रों का इस्तेमाल विभिन्न कार्यालयों में किसी कार्य के उदेश्य से किया जाता है| इस प्रकार के पत्र माँ उपयोग एक कार्यालय से दुसरे कार्यलय में किया जाता है| जैसे राज्यपाल कार्यालय से प्रधानमंत्री कार्यालय, एक दुतेवास से दुसरे दूसरे दूतावास, आदि|

3. सम्पादकीय पत्र : सम्पादक के नाम से लिखे गए पत्र को सम्पादकीय पत्र खा जाता है| इस प्रकार के पत्र संपादक को संबोधित होते है|

4. व्यावासिक पत्र : व्यपारिक पत्रों का उयोग व्यवसाय करने वाले व्यक्ति करते है| इन पत्रों का भाषा पुर्णतः औपचारिक होता है|

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